What is Sthai, Antara, Sanchari and Aabhog स्थाई, अंतरा, संचारी और अभोग क्या है
Often all songs contain two parts; Sthai and Antara. But there are four parts in Dhrupad.
Sthai, Antara, Sanchari and Aabhog
The first part of the song is called Sthai. Most of the Sthai are between mid-octaves and lower-octaves. In some Uttarang ragas, Sthai go up to S° and R°. The Sthai is repeated repeatedly. The singer roams and comes in a Sthai part.
The second part of the song is called Antara. It starts in the middle of the mid-octave, or goes to the high octave. The antara sometimes stops at the high octave and sometimes moves up to middle or fifth of the middle octave.
The third part of the Dhrupad song is called Sanchari. In this section, we elaborate the Bandish with Gamak in the lower and middle octave and do not use the high octave.
The fourth part of the Dhrupad song is called Aabhog. It is similar to the Antara. In it, you can go to the higher octets as much as you want.
अक्सर सभी गीतों में दो भाग होते हैं; स्थाई और अंतरा। पर ध्रुपद में चार भाग होते हैं।
स्थाई, अंतरा, संचारी और अभोग
गीत के प्रथम भाग को स्थाई कहते हैं। ज्यादातर स्थाई मध्य सप्तक और मंद्र सप्तकों में होता है। कुछ उत्तरांग रागों में स्थाई तार सप्तक के सा° और रे° तक भी चली जाती है। स्थाई को बार-बार दोहराया जाता है। गायक घूम फिर कर स्थाई भाग में आता है।
गीत का दूसरा भाग को अंतरा कहते हैं। यह मध्य सप्तक के ग, म या प से शुरू होकर तार सप्तक में जाता है। अंतरा कभी तार सप्तक पे भी रुक जाता है और कभी मध्य सप्तक के मध्यम या पंचम तक चला आता है।
ध्रुपद गीत के तीसरे भाग को संचारी कहते हैं। इस भाग में मंद्र सप्तक और मध्य सप्तकों में गमक के साथ विस्तार करते हैं और तार सप्तक का अधिक प्रयोग नहीं करते हैं।
ध्रुपद गीत के चौथे भाग को अाभोग कहते हैं। यह अंतरा के समान होता है। इसमें जितना चाहे ऊपर तार सप्तक में जा सकते हैं।