What is thaat, What is the number of thats? थाट क्या है, थाटों कि संख्या कितनी है ?
On the basis of keeping 7 main swaras from 12 swaras, Thats are formed, which causes Raag. We can also say that a group of swaras that have the power to generate Raag is called Thaat.
Thaat symptoms
1. There are 7 swaras in each thaat.
2. Along with being complete, the swaras are in sequence.
3. It is not necessary to have any obstruction in any place because there is no difference between mounting descent. Only by looking at the Arooh or Avaroh it is known only which one is there.
4. It is not played. Therefore, there is no need for the Vadi-samvadi, Pakar, Alaap-taan etc.
5. Thatt only has the ability to generate Raag, it is never played, so there is no need for sweetness in it.
Number of Thats
Nowadays, 10 thaats are considered in Hindustani music.
1.Bilaval Thaat: Every swar is shuddh.
2.Kalyan Thaat: Only ma Tivra and all the other swar shuddh.
3.Khamaz Thaat: In this, Ni komal, all other swaras are shuddh.
4.Asawari Thaat: Here Ga, Dha, Ni komal and rest swaras are shuddh.
5.Kafi Thaat: In this thaat, Ga, Ni komal and rest swaras are shuddh.
6.Bhairavi Thaat: Here Re, Ga, Dha, Ni komal and rest swaras are shuddh.
7. Bhairav Thaat: In it, Re, Dha komal and rest swaras are shuddh.
8.Marwa Thaat: Here, Re komal, Ma Tivra and rest swaras are shuddh.
9.Purwi Thaat: In this, Re, Dha komal, Ma Tivra and rest swaras are shuddh.
10.Todi Thaat: It contains, Re, Ga, Dha komal, Ma Tivra and rest swaras are shuddh.
१२ स्वरों में से ७ मुख्य स्वरों को क्रमानुसार रखने पर थाट बनता है, जिससे राग उत्पन्न होता है। हमलोग ऐसे भी कह सकते हैं कि स्वरों का ऐसा समूह जिससे राग उत्पन्न करने की शक्ति हो उसे थाट कहते हैं।
थाट के लक्षण
१. प्रत्येक थाट में ७ स्वर रखा गया है।
२. थाट सम्पूर्ण होने के साथ साथ इसमें स्वर क्रमानुसार होते हैं।
३. किसी भी थाट में अरोह अवरोध का होना जरूरी नहीं है क्योंकि आरोह अवरोह में कोई अंतर नहीं होता है। सिर्फ अारोह या अवरोह को देखने से ही पता चल जाता है कि कौन सा थाट है।
४. थाट गया बजाया नहीं जाता है। इसलिए इसमें वादी संवादी, पकड़, आलाप तान इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती।
५. थाट में केवल राग उत्पन्न करने की क्षमता होती है, इसे कभी गया बजाया नहीं जाता है इसलिए इसमें मधुरता की कोई आवशयकता ही नहीं होती।
थाटों कि संख्या
आजकल हिन्दुस्तानी संगीत में १० थाट माना जाता है।
१.बिलावल थाट: प्रत्येक स्वर शुद्ध।
२.कल्याण थाट: केवल म तीव्र और बाकी सभी स्वर शुद्ध।
३. खमाज थाट: इसमें नि कोमल बाकी सभी स्वर शुद्ध।
४.असवारी थाट: यहां ग, ध, नि कोमल और बाकी स्वर शुद्ध।
५.काफी थाट: इस थाट में ग, नि कोमल और बाकी स्वर शुद्ध।
६.भैरवी थाट: इसमें रे, ग, ध, नि कोमल और बचा वो शुद्ध स्वर होते हैं।
७.भैरव थाट: इसमें रे, ध कोमल और बाकी सभी स्वर शुद्ध।
८.मरवा थाट: यहां रे कोमल, म तीव्र बाकी सभी स्वर शुद्ध होते हैं।
९.पूर्वी थाट: इस थाट में रे, ध कोमल, म तीव्र और बाकी स्वर शुद्ध।
१०.तोड़ी थाट: इसमें रे, ग, ध कोमल, म तीव्र और शेष स्वर शुद्ध।
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