Can I practice Palta Alankar in Bhairavi thaat पलटा/अलंकार का रियाज भैरवी थाट में करें तो
When the Palta/Alankar is practiced in any Thaat
Palta/Alankar is practiced in any Thaat when you have started learning raga. When you have studied ragas for at least 2 years, then after you can practice on that related Thaat. But it is better to practice Palta/Alankar on a Thaat than to practice the Taan of the Raga that you are learning. Practice Gamak on the Taan of the Raag that you are learning.
Understand
Palta/Alankar is made for the beginner’s student. First of all you need to learn to recognize swaras. Based on Sa, the distance of Re, Ga is to be understood. When you get to know the right sound of Swar in your mind, after that the raga starts to learn.
As soon as the raga starts learning, knowledge of Komal and Tivra swaras also begins. Therefore, it is not necessary to do Palta/Alankar on a separate Thaat. Because after practicing the Taan of every raga, Komal and Tivra swaras are also practiced.
पल्टा अलंकार का रियाज किसी भी थाट में कब करें
पल्टा अलंकार का रियाज किसी भी थाट में तब किया जाता है जब आपने राग सीखना शुरू कर दिया हो। जब आप कम से कम 2 साल अच्छे तरीके से रागों का अध्ययन कर लेंगे उसके बाद उस राग से जुड़ा हुआ थाट पर आप पलटा अलंकार का रियाज कर सकते हैं। लेकिन पल्टा अलंकार का रियाज़ किसी थाट पर करने से बेहतर है कि आप जो राग सीख रहे हैं उस राग के तानों का खूब अभ्यास करें। जो राग आप सीख रहे हैं उस राग के तान पर गमक का अभ्यास करें।
समझना होगा
पल्टा अलंकार शुरुआती के छात्र के लिए बना है। सबसे पहले आपको स्वर पहचानना सीखना होगा। सा के आधार पर शुद्ध रेे, ग की दूरी कितनी है वह समझना होगा। जब आपको स्वर ज्ञान हो जाएगा उसके बाद राग सीखना शुरू होता है।
राग सीखना शुरू होते ही कोमल और तीव्र स्वरों का ज्ञान भी होने लगता है। इसलिए पल्टा अलंकार का रियाज अलग-अलग थाट पर करना उतना जरूरी नहीं होता। क्योंकि हर राग के तान के अभ्यास करने पर कोमल और तीव्र स्वरों का अभ्यास भी हो जाता है।
सभी थाटो पर अलंकार या पलटा का रियाज़ Riyaz of Alankars Paltas Sargam on all Thaat Right/Wrong Facts