Harmonium makes the throat worse, Right/Wrong Fact हारमोनियम तो गला और खराब बना देता है, सही/ग़लत
Many people believe
Many people believe that Riyaz or singing practice on the harmonium spoils the voice. But this thing is absolutely wrong. Many people believe that Riyaz can be done only on Tanpura and it is wrong to practice on harmonium, but this is not the case. Let’s understand
Right
It is absolutely right that Riyaz Tanpura is the best one to do singing practice. But nowadays, it is very difficult to start learning music on Tanpura. It is very difficult to understand Tanpura at the beginning. Because in tanpura we do not understand the swar differently, it is very difficult to recognize the swaras. In the earlier times, the Guru used to sit in the morning or any time and he always used to sing at Tanpura and the students practiced after listening to him. But in the present age, the Guru has not always been sitting in front, therefore the need for harmonium was required.
Understand
All the swaras can be played differently in the harmonium. Listening to those swaras, we practice. After a few months you should start practicing on Tanpura. Therefore, in the beginning, harmonium is very important for learning music. And there is no such thing that Riyaz on the harmonium get damaged by throat. This is a completely wrong concept.
बहुत लोगों का यह मानना है
बहुत लोगों का यह मानना है कि हारमोनियम पर रियाज करने से आवाज खराब हो जाती है। पर यह बात बिल्कुल गलत है। बहुत से लोग यह मानते हैं कि रियाज सिर्फ तानपुरा पर ही किया जा सकता है और हारमोनियम पर रियाज करना गलत होता है पर ऐसी बात नहीं है। आइए समझते हैं
बात बिल्कुल सही है
यह बात बिल्कुल सही है की रियाज तानपुरा पर करना है सबसे सही होता है। पर आजकल के जमाने में तानपुरा पर संगीत सीखना शुरू करना बहुत मुश्किल है। शुरुआत में तानपुरा को समझना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि तानपुरा में स्वर अलग अलग नहीं बजते हैं इसलिए स्वर को पहचानना बहुत मुश्किल होता है। पहले जमाने में सुबह शाम गुरु सामने बैठे होते थे और वह तानपुरा पर गाकर हमेशा बताते थे और विद्यार्थी उन्हें सुनकर अभ्यास करते थे। पर अभी के जमाने में गुरु हमेशा सामने नहीं बैठे होते हैं इसलिए हारमोनियम की आवश्यकता हुई।
ये समझना है
हारमोनियम में सारे स्वर अलग अलग बजाए जा सकते हैं। उन स्वरों को सुनकर हम अभ्यास करते हैं। फिर कुछ महीनों बाद हारमोनियम के साथ साथ तानपुरा पर अभ्यास करना शुरू करते हैं। इसलिए शुरुआत में हारमोनियम बहुत जरूरी है संगीत सीखने के लिए। और ऐसी कोई बात नहीं है कि हारमोनियम पर रियाज करने से गला खराब हो जाता है। यह बिल्कुल गलत कॉन्सेप्ट है। हारमोनियम के स्वरों को सही तरीके से सुनकर सही ढंग से रियाज़ किया जाता है। और हारमोनियम शुरुआत में समझना बहुत आसान है।