What is Andolan आन्दोलन क्या है
Vibration
The basis of each sound is Vibration. Scientists say that no sound can be produced without vibration. We can see some vibrations and some cannot. When we strike the wire of Tanpura or Sitar, the wire goes down from its place. On strike, the wire vibrates and a sound is produced.
Movement (Andolan)
Whether the sound is sweet or Unmusical. No sound can be produced without vibration. Music uses a melodious sound and the vibration of a melodious sound is called Movement (Andolan).
On striking the wire, the wire first goes up to its place and then comes down to its place, thus a movement is completed. As long as there is an impact on the wire, the wire keeps on agitating and the sound is produced. As the effect of teasing on the wire decreases, the sound decreases. The number of times the wire is agitated in a second is considered to be the same number of movement.
Movement number (Andolan Sankhya)
Scientists have tried to measure the Movement number (Andolan Sankhya) and they have come to the result that as we move above the swar the movement number of the swaras increases every second and as we move down from Sa° The movement number of the swaras decreases.
Movements can be of two main types
1. Regular and Irregular movement
2. Steady and Unstable movement
Regular and Irregular movement:
When the movement of a sound is at a speed, it is regular and when the movement is not at a speed, it is called irregular movement. When the movement number of a sound remains the same every second, it is called regular and when it changes, it is called irregular movement.
Steady and Unstable movement:
When the movement of a sound continues for some time, it is called Static/Steady movement and when the movement ends soon, it is called Unstable movement. For example, when we pierce the wire of a tanpura, its movement is constant and when we strike with a hand on a wood, its movement is unstable, although the sound is produced in both the states.
Music uses regular and steady movement of sound which we call Naad.
कम्पन
प्रत्येक ध्वनि का आधार कम्पन है। वैज्ञानिक कहते हैं कि बिना कम्पन के कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं हो सकती। कुछ कम्पन को हम देख सकते हैं और कुछ को नहीं। तानपुरा या सितार के तार को जब हम आघात करते हैं तो तार अपने स्थान से ऊपर नीचे जाता है। आघात करने पर तार कम्पन करता है और ध्वनि उत्पन्न होती है।
आंदोलन
ध्वनि चाहे मधुर हो या अमधुर। बिना कम्पन के कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं हो सकती। संगीत में मधुर ध्वनि का उपयोग होता है और मधुर ध्वनि के कंपन को आंदोलन कहते हैं।
तार को आघात करने पर तार पहले ऊपर जाकर अपने स्थान पर आता है और फिर नीचे जाकर अपने स्थान पर आता है इस प्रकार एक आंदोलन पूरा होता है। जब तक तार पर छेड़ने का प्रभाव रहता है तार आंदोलित होता रहता है और ध्वनि उत्पन्न होती रहती है। जैसे-जैसे तार पर छेड़ने का प्रभाव कम होता जाता है ध्वनि कम होती जाती है। एक सेकंड में तार जितनी बार आंदोलित होता है उसकी आंदोलन संख्या उतनी ही मानी जाती हैं।
आंदोलन संख्या
वैज्ञानिकों ने आंदोलन संख्या को नापने का प्रयत्न किया है और वे इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि जैसे-जैसे हम स्वर से ऊपर बढ़ते जाते हैं स्वरों की आंदोलन संख्या प्रति सेकंड बढ़ती जाती है और जैसे-जैसे *सां* से नीचे की ओर बढ़ते हैं स्वरों की आंदोलन संख्या कम होती जाती है।
आंदोलन मुख्य दो प्रकार के हो सकते हैं
1. नियमित और अनियमित आंदोलन
2. स्थिर और अस्थिर आंदोलन
नियमित और अनियमित आंदोलन
जब किसी ध्वनि की आंदोलन एक रफ्तार में रहती है तो उसे नियमित और जब आंदोलन एक रफ्तार में नहीं रहती है तो उसे अनियमित आंदोलन कहते हैं। जब किसी ध्वनि की आंदोलन संख्या प्रत्येक सेकंड में समान रहती है तो नियमित और जब बदलती रहती है तो उसे अनियमित आंदोलन कहते हैं।
स्थिर और अस्थिर आंदोलन
जब किसी ध्वनि की आंदोलन कुछ देर तक चलती रहती है तो उसे स्थिर आंदोलन कहते हैं और जब आंदोलन शीघ्र ही समाप्त हो जाती है तो उसे अस्थिर आंदोलन कहते हैं। उदाहरण के लिए जब हम तानपुरा के तार को छेड़ते हैं तो उसकी आंदोलन स्थिर होती है और जब हम किसी लकड़ी पर हाथ से आघात करते हैं तो उसकी आंदोलन अस्थिर होती है यद्यपि दोनों अवस्थाओं में ध्वनि उत्पन्न हुई है।
संगीत में नियमित और स्थिर आंदोलन वाले ध्वनि का प्रयोग होता है जिसे हम नाद कहते हैं।